वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 5: सुन्दर काण्ड
»
सर्ग 55: सीताजी के लिये हनुमान् जी की चिन्ता और उसका निवारण
»
श्लोक 19
श्लोक
5.55.19
इक्ष्वाकुवंशे धर्मिष्ठे गते नाशमसंशयम्।
भविष्यन्ति प्रजा: सर्वा: शोकसंतापपीडिता:॥ १९॥
अनुवाद
play_arrowpause
इक्ष्वाकुवंश के धर्मात्मा राजाओं के समाप्त हो जाने पर निस्संदेह सभी प्रजा शोक और संताप से पीड़ित हो जाएगी।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.