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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 5: सुन्दर काण्ड
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सर्ग 54: लङ्कापुरी का दहन और राक्षसों का विलाप
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श्लोक 4
श्लोक
5.54.4
दुर्गे विनाशिते कर्म भवेत् सुखपरिश्रमम्।
अल्पयत्नेन कार्येऽस्मिन् मम स्यात् सफल: श्रम:॥ ४॥
अनुवाद
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दुर्ग के विनाश के बाद समुद्र लांघने और अन्य कार्यों को करने का मेरा प्रयास सफल होगा | मैंने सीता जी को खोजने के लिए बहुत मेहनत की है और लंका को जलाकर थोड़े से ही प्रयास से मेरा श्रम सफल हो जाएगा |
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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