श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 5: सुन्दर काण्ड  »  सर्ग 53: राक्षसों का हनुमान जी की पूँछ में आग लगाकर उन्हें नगर में घुमाना  »  श्लोक 26-27h
 
 
श्लोक  5.53.26-27h 
 
 
मङ्गलाभिमुखी तस्य सा तदासीन्महाकपे:॥ २६॥
उपतस्थे विशालाक्षी प्रयता हव्यवाहनम्।
 
 
अनुवाद
 
  तब विशाल नेत्रों वाली और पवित्र हृदय वाली सीता माता, महाकपि हनुमान जी के लिए मंगल कामना करती हुई अग्नि देव की उपासना की ओर अग्रसर हुईं और इस प्रकार बोलीं-
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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