तत्पश्चात् वे क्रूरकर्मा राक्षस अपने दिव्य आकार को छुपाकर रखने वाले सत्त्वगुणशाली महान वानरवीर कपिकुंजर हनुमान जी को पकड़कर बड़े हर्ष के साथ ले चले और शंख एवं भेरी बजाकर उनके (रावण-द्रोह आदि) अपराधों की घोषणा करते हुए उन्हें लंका पुरी में सब ओर घुमाने लगे।