श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 5: सुन्दर काण्ड  »  सर्ग 52: विभीषण का दूत के वध को अनुचित बताकर उसे दूसरा कोई दण्ड देने के लिये कहना तथा रावण का उनके अनरोध को स्वीकार कर लेना  »  श्लोक 10
 
 
श्लोक  5.52.10 
 
 
विभीषणवच: श्रुत्वा रावणो राक्षसेश्वर:।
कोपेन महताऽऽविष्टो वाक्यमुत्तरमब्रवीत्॥ १०॥
 
 
अनुवाद
 
  विभीषण की बात सुनकर राक्षसों का स्वामी रावण क्रोध से भर गया और उन्हें उत्तर देते हुए बोला—
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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