श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 5: सुन्दर काण्ड  »  सर्ग 52: विभीषण का दूत के वध को अनुचित बताकर उसे दूसरा कोई दण्ड देने के लिये कहना तथा रावण का उनके अनरोध को स्वीकार कर लेना  »  श्लोक 1
 
 
श्लोक  5.52.1 
 
 
स तस्य वचनं श्रुत्वा वानरस्य महात्मन:।
आज्ञापयद् वधं तस्य रावण: क्रोधमूर्च्छित:॥ १॥
 
 
अनुवाद
 
  रावण ने क्रोध से भरकर अपने सेवकों को आज्ञा दी, "इस वानर को मार डालो।"
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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