अपने क्रूर, निर्दयी और निष्ठुर कर्मों के कारण, जिनकी निंदा स्वयं देवताओं और दानवों सहित समूचा लोक करता है, राक्षसराज रावण से संसार भर में भय व्याप्त है। जब वह क्रोधित होता है, तो वह पूरे विश्व को एक विशाल जलराशि में विलीन कर सकता है और प्रलय ला सकता है। उसकी अपार शक्ति और प्रभाव को देखकर, बुद्धिमान वानरवीर हनुमान विभिन्न चिंताओं से घिर गए।
इत्यार्षे श्रीमद्रामायणे वाल्मीकीये आदिकाव्ये सुन्दरकाण्डे एकोनपञ्चाश: सर्ग:॥ ४९॥
इस प्रकार श्रीवाल्मीकिनिर्मित आर्षरामायण आदिकाव्यके सुन्दरकाण्डमें उनचासवाँ सर्ग पूरा हुआ॥ ४९॥