श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 5: सुन्दर काण्ड  »  सर्ग 49: रावण के प्रभावशाली स्वरूप को देखकर हनुमान जी के मन में अनेक प्रकार के विचारों का उठना  »  श्लोक 19-20
 
 
श्लोक  5.49.19-20 
 
 
अस्य क्रूरैर्नृशंसैश्च कर्मभिर्लोककुत्सितै:।
सर्वे बिभ्यति खल्वस्माल्लोका: सामरदानवा:॥ १९॥
अयं ह्युत्सहते क्रुद्ध: कर्तुमेकार्णवं जगत्।
इति चिन्तां बहुविधामकरोन्मतिमान् कपि:।
दृष्ट्वा राक्षसराजस्य प्रभावममितौजस:॥ २०॥
 
 
अनुवाद
 
  अपने क्रूर, निर्दयी और निष्ठुर कर्मों के कारण, जिनकी निंदा स्वयं देवताओं और दानवों सहित समूचा लोक करता है, राक्षसराज रावण से संसार भर में भय व्याप्त है। जब वह क्रोधित होता है, तो वह पूरे विश्व को एक विशाल जलराशि में विलीन कर सकता है और प्रलय ला सकता है। उसकी अपार शक्ति और प्रभाव को देखकर, बुद्धिमान वानरवीर हनुमान विभिन्न चिंताओं से घिर गए।
 
 
इत्यार्षे श्रीमद्रामायणे वाल्मीकीये आदिकाव्ये सुन्दरकाण्डे एकोनपञ्चाश: सर्ग:॥ ४९॥
इस प्रकार श्रीवाल्मीकिनिर्मित आर्षरामायण आदिकाव्यके सुन्दरकाण्डमें उनचासवाँ सर्ग पूरा हुआ॥ ४९॥
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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