श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 5: सुन्दर काण्ड  »  सर्ग 48: इन्द्रजित और हनुमान जी का युद्ध, उसके दिव्यास्त्र के बन्धन में बँधकर हनुमान् जी का रावण के दरबार में उपस्थित होना  »  श्लोक 16
 
 
श्लोक  5.48.16 
 
 
ततस्तै: स्वगणैरिष्टैरिन्द्रजित् प्रतिपूजित:।
युद्धोद्धतकृतोत्साह: संग्रामं सम्प्रपद्यत॥ १६॥
 
 
अनुवाद
 
  तदनंतर अपने दल के प्रिय राक्षसों द्वारा भरपूर प्रशंसा पाकर इंद्रजीत युद्ध के लिए मन में उत्साह भरकर संग्रामभूमि की ओर जाने के लिए उद्यत हुआ।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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