श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 5: सुन्दर काण्ड  »  सर्ग 47: रावणपुत्र अक्ष कुमार का पराक्रम और वध  »  श्लोक 7
 
 
श्लोक  5.47.7 
 
 
स पूरयन् खं च महीं च साचलां
तुरङ्गमातङ्गमहारथस्वनै:।
बलै: समेतै: सहतोरणस्थितं
समर्थमासीनमुपागमत् कपिम्॥ ७॥
 
 
अनुवाद
 
  चलाचल, बड़े-बड़े हाथी और रथों के भयंकर शोर से आकाश और पर्वतों समेत पूरी पृथ्वी को हिलाता हुआ वह विशाल सेना लेकर बगीचे के द्वार पर हनुमान जी के पास पहुँचा।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.