स पूरयन् खं च महीं च साचलां
तुरङ्गमातङ्गमहारथस्वनै:।
बलै: समेतै: सहतोरणस्थितं
समर्थमासीनमुपागमत् कपिम्॥ ७॥
अनुवाद
चलाचल, बड़े-बड़े हाथी और रथों के भयंकर शोर से आकाश और पर्वतों समेत पूरी पृथ्वी को हिलाता हुआ वह विशाल सेना लेकर बगीचे के द्वार पर हनुमान जी के पास पहुँचा।