श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 5: सुन्दर काण्ड  »  सर्ग 47: रावणपुत्र अक्ष कुमार का पराक्रम और वध  »  श्लोक 14
 
 
श्लोक  5.47.14 
 
 
स तस्य वीर: सुमुखान् पतत्रिण:
सुवर्णपुङ्खान् सविषानिवोरगान्।
समाधिसंयोगविमोक्षतत्त्ववि-
च्छरानथ त्रीन् कपिमूर्ध्न्यताडयत्॥ १४॥
 
 
अनुवाद
 
  अक्ष कुमार निशाना लगाने में बहुत कुशल था। उसने अपने धनुष पर तीन बाण चढ़ाए और उन्हें हनुमान जी के मस्तक पर छोड़ दिया। ये बाण विषधर सांपों की तरह भयंकर थे, सुवर्णमय पंखों से युक्त थे, सुंदर अग्रभाग वाले थे और उनमें पत्र लगे हुए थे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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