तब बलशाली और महान वीर हनुमान जी ने एक पर्वत की चोटी को उखाड़ लिया, जिसमें हिरण, सांप और पेड़ भी थे। उन्होंने उस पर्वत की चोटी से उन दोनों राक्षसों पर प्रहार किया। पर्वत की चोटी के प्रहार से वे दोनों राक्षस कुचल गए और उनके शरीर तिल के बीजों के समान टुकड़े-टुकड़े हो गए।