श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 5: सुन्दर काण्ड  »  सर्ग 46: रावण के पाँच सेनापतियों का वध  »  श्लोक 23
 
 
श्लोक  5.46.23 
 
 
स तै: पञ्चभिराविद्ध: शरै: शिरसि वानर:।
उत्पपात नदन् व्योम्नि दिशो दश विनादयन्॥ २३॥
 
 
अनुवाद
 
  पञ्च तीक्ष्ण बाणों से अपने मस्तक में गहरे घाव खाकर वानरवीर हनुमान जी तीव्र वेदना और असहनीय क्रोध से भर उठे। वे अपनी भयानक गर्जना से दसों दिशाओं को गुंजायमान करते हुए आकाश में ऊपर की ओर लपक पड़े।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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