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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 5: सुन्दर काण्ड
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सर्ग 44: हनुमान जी के द्वारा चैत्यप्रासाद का विध्वंस तथा उसके रक्षकों का वध
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श्लोक 8
श्लोक
5.44.8
तस्य तच्छुशुभे ताम्रं शरेणाभिहतं मुखम्।
शरदीवाम्बुजं फुल्लं विद्धं भास्कररश्मिना॥ ८॥
अनुवाद
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उनके बाण से घायल हुआ हनुमान जी का लाल मुँह शरद ऋतु में सूर्य की किरणों से छिदे हुए लाल कमल के समान सुन्दर हो रहा था।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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