श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 5: सुन्दर काण्ड  »  सर्ग 44: हनुमान जी के द्वारा चैत्यप्रासाद का विध्वंस तथा उसके रक्षकों का वध  »  श्लोक 20
 
 
श्लोक  5.44.20 
 
 
स रोषसंवर्तितताम्रलोचन:
प्रहस्तपुत्रे निहते महाबले।
अमात्यपुत्रानतिवीर्यविक्रमान्
समादिदेशाशु निशाचरेश्वर:॥ २०॥
 
 
अनुवाद
 
  महाबली प्रहस्त पुत्र के मारे जाने पर निशाचरराज रावण की आँखें क्रोध से लाल हो उठीं। उन्होंने तुरंत अपने मन्त्री के पुत्रों को, जो महान शक्तिशाली और साहसी थे, युद्ध के लिए जाने का आदेश दिया।
 
 
इत्यार्षे श्रीमद्रामायणे वाल्मीकीये आदिकाव्ये सुन्दरकाण्डे चतुश्चत्वारिंश: सर्ग:॥ ४४॥
इस प्रकार श्रीवाल्मीकिनिर्मित आर्षरामायण आदिकाव्यके सुन्दरकाण्डमें चौवालीसवाँ सर्ग पूरा हुआ॥ ४४॥
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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