श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 5: सुन्दर काण्ड  »  सर्ग 42: राक्षसियों के मुख से एक वानर के द्वारा प्रमदावन के विध्वंस का समाचार सुनकर रावण का किंकर नामक राक्षसों को भेजना और हनुमान जी के द्वारा उन सबका संहार  »  श्लोक 9
 
 
श्लोक  5.42.9 
 
 
यूयमेवास्य जानीत योऽयं यद् वा करिष्यति।
अहिरेव ह्यहे: पादान् विजानाति न संशय:॥ ९॥
 
 
अनुवाद
 
  तुम्हीं जानो यह कौन है और क्या करेगा, ये केवल तर्क-वितर्क की बातें हैं। सर्प के पैरों को सर्प ही पहचान सकता है, इसमें कोई शक नहीं है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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