श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 5: सुन्दर काण्ड  »  सर्ग 42: राक्षसियों के मुख से एक वानर के द्वारा प्रमदावन के विध्वंस का समाचार सुनकर रावण का किंकर नामक राक्षसों को भेजना और हनुमान जी के द्वारा उन सबका संहार  »  श्लोक 17
 
 
श्लोक  5.42.17 
 
 
न तत्र कश्चिदुद्देशो यस्तेन न विनाशित:।
यत्र सा जानकी देवी स तेन न विनाशित:॥ १७॥
 
 
अनुवाद
 
  प्रमदावन का कोई भी हिस्सा ऐसा नहीं है, जिसे उसने तबाह नहीं किया हो। केवल वही स्थान, जहाँ जानकी देवी रहती हैं, उसने तबाह नहीं किया है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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