श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 5: सुन्दर काण्ड  »  सर्ग 42: राक्षसियों के मुख से एक वानर के द्वारा प्रमदावन के विध्वंस का समाचार सुनकर रावण का किंकर नामक राक्षसों को भेजना और हनुमान जी के द्वारा उन सबका संहार  »  श्लोक 14
 
 
श्लोक  5.42.14 
 
 
न च तं जानकी सीता हरिं हरिणलोचना।
अस्माभिर्बहुधा पृष्टा निवेदयितुमिच्छति॥ १४॥
 
 
अनुवाद
 
  हमने सीताजी से बार-बार पूछा, पर हरिण के समान सुंदर आँखों वाली जनक की पुत्री सीता उस वानर के विषय में हमें कुछ नहीं बताना चाहतीं।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.