श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 5: सुन्दर काण्ड  »  सर्ग 42: राक्षसियों के मुख से एक वानर के द्वारा प्रमदावन के विध्वंस का समाचार सुनकर रावण का किंकर नामक राक्षसों को भेजना और हनुमान जी के द्वारा उन सबका संहार  »  श्लोक 13
 
 
श्लोक  5.42.13 
 
 
अशोकवनिकामध्ये राजन् भीमवपु: कपि:।
सीतया कृतसंवादस्तिष्ठत्यमितविक्रम:॥ १३॥
 
 
अनुवाद
 
  अशोक वाटिका में एक भयंकर रूपवाला वानर आया है। उसने सीता से बातचीत की है। वह अत्यधिक पराक्रमी है और अभी भी वहीं मौजूद है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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