श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 5: सुन्दर काण्ड  »  सर्ग 40: सीता का श्रीराम से कहने के लिये पुनः संदेश देना तथा हनुमान जी का उन्हें आश्वासन दे उत्तर-दिशा की ओर जाना  »  श्लोक 20-21
 
 
श्लोक  5.40.20-21 
 
 
तमुत्पातकृतोत्साहमवेक्ष्य हरियूथपम्॥ २०॥
वर्धमानं महावेगमुवाच जनकात्मजा।
अश्रुपूर्णमुखी दीना बाष्पगद‍्गदया गिरा॥ २१॥
 
 
अनुवाद
 
  देखो! वानरसमूह के नेता महावेगशाली हनुमान् को वहाँ से उछलने के लिए उत्साहित देखकर जनकनन्दिनी सीता के मुँह से आँसुओं की धारा बहने लगी। वे दुःखी होकर अश्रु-भरी गद्गद वाणी में बोलीं-
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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