वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 5: सुन्दर काण्ड
»
सर्ग 40: सीता का श्रीराम से कहने के लिये पुनः संदेश देना तथा हनुमान जी का उन्हें आश्वासन दे उत्तर-दिशा की ओर जाना
»
श्लोक 20-21
श्लोक
5.40.20-21
तमुत्पातकृतोत्साहमवेक्ष्य हरियूथपम्॥ २०॥
वर्धमानं महावेगमुवाच जनकात्मजा।
अश्रुपूर्णमुखी दीना बाष्पगद्गदया गिरा॥ २१॥
अनुवाद
play_arrowpause
देखो! वानरसमूह के नेता महावेगशाली हनुमान् को वहाँ से उछलने के लिए उत्साहित देखकर जनकनन्दिनी सीता के मुँह से आँसुओं की धारा बहने लगी। वे दुःखी होकर अश्रु-भरी गद्गद वाणी में बोलीं-
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.