श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 5: सुन्दर काण्ड  »  सर्ग 40: सीता का श्रीराम से कहने के लिये पुनः संदेश देना तथा हनुमान जी का उन्हें आश्वासन दे उत्तर-दिशा की ओर जाना  »  श्लोक 17
 
 
श्लोक  5.40.17 
 
 
यत्तु रामो विजानीयादभिज्ञानमनिन्दिते।
प्रीतिसंजननं भूयस्तस्य त्वं दातुमर्हसि॥ १७॥
 
 
अनुवाद
 
  हे सती-साध्वी देवी! जिसको श्रीरामचंद्रजी जान सकें और जो उनके हृदय में अधिकाधिक प्रेम एवं प्रसन्नता का संचार करने वाली हो, ऐसी और भी कोई पहचान आपके पास हो तो वह आप उनके लिए मुझे दे सकती हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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