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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 5: सुन्दर काण्ड
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सर्ग 40: सीता का श्रीराम से कहने के लिये पुनः संदेश देना तथा हनुमान जी का उन्हें आश्वासन दे उत्तर-दिशा की ओर जाना
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श्लोक 14
श्लोक
5.40.14
दृष्टा कथंचिद् भवती न काल: परिदेवितुम्।
इमं मुहूर्तं दु:खानामन्तं द्रक्ष्यसि भामिनि॥ १४॥
अनुवाद
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हाँ, अब जब आपका दर्शन हो ही गया है, तो रोने-धोने या शोक करने का कोई अवसर नहीं रह गया है। हे सुंदरी! इसी क्षण आप अपने सभी दुखों का अंत देख लेंगी।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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