श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 5: सुन्दर काण्ड  »  सर्ग 39: समद्र-तरण के विषय में शङ्कित हुई सीता को वानरों का पराक्रम बताकर हनुमान जी का आश्वासन देना  »  श्लोक 32
 
 
श्लोक  5.39.32 
 
 
तदर्थोपहितं वाक्यं प्रश्रितं हेतुसंहितम्।
निशम्य हनुमान् शेषं वाक्यमुत्तरमब्रवीत्॥ ३२॥
 
 
अनुवाद
 
  देवी सीता का यह कथन सार्थक, प्रेमपूर्ण और न्यायपूर्ण था। उनकी इस शेष बात को सुनकर हनुमान जी ने इस प्रकार उत्तर दिया-।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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