वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 5: सुन्दर काण्ड
»
सर्ग 39: समद्र-तरण के विषय में शङ्कित हुई सीता को वानरों का पराक्रम बताकर हनुमान जी का आश्वासन देना
»
श्लोक 32
श्लोक
5.39.32
तदर्थोपहितं वाक्यं प्रश्रितं हेतुसंहितम्।
निशम्य हनुमान् शेषं वाक्यमुत्तरमब्रवीत्॥ ३२॥
अनुवाद
play_arrowpause
देवी सीता का यह कथन सार्थक, प्रेमपूर्ण और न्यायपूर्ण था। उनकी इस शेष बात को सुनकर हनुमान जी ने इस प्रकार उत्तर दिया-।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.