श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 5: सुन्दर काण्ड  »  सर्ग 39: समद्र-तरण के विषय में शङ्कित हुई सीता को वानरों का पराक्रम बताकर हनुमान जी का आश्वासन देना  »  श्लोक 23
 
 
श्लोक  5.39.23 
 
 
तवादर्शनज: शोको भूयो मां परितापयेत्।
दु:खादु:खपरामृष्टां दीपयन्निव वानर॥ २३॥
 
 
अनुवाद
 
  देखो वीर हनुमान! दुख पर दुख सहन कर रही हूँ। तुम्हारे चले जाने के बाद, तुम्हें न देख पाने का दुख मुझे बार-बार जलाता रहेगा और तड़पाता रहेगा।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.