श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 5: सुन्दर काण्ड  »  सर्ग 39: समद्र-तरण के विषय में शङ्कित हुई सीता को वानरों का पराक्रम बताकर हनुमान जी का आश्वासन देना  »  श्लोक 19
 
 
श्लोक  5.39.19 
 
 
ततस्तं प्रस्थितं सीता वीक्षमाणा पुन: पुन:।
भर्तृस्नेहान्वितं वाक्यं सौहार्दादनुमानयत्॥ १९॥
 
 
अनुवाद
 
  तत्पश्चात् वहां से चल दिए हनुमान जी के प्रति बार-बार देखती सीता ने सौहार्दपूर्वक स्वामी के प्रति प्रेम से भरा सम्मानपूर्ण वचन बोला—।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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