श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 5: सुन्दर काण्ड  »  सर्ग 39: समद्र-तरण के विषय में शङ्कित हुई सीता को वानरों का पराक्रम बताकर हनुमान जी का आश्वासन देना  »  श्लोक 18
 
 
श्लोक  5.39.18 
 
 
तस्य तद् वचनं श्रुत्वा सम्यक् सत्यं सुभाषितम्।
जानकी बहु मेने तं वचनं चेदमब्रवीत्॥ १८॥
 
 
अनुवाद
 
  हनुमान जी का कथन युक्तियुक्त, सत्य और सुंदर था। यह सुनकर जनकनंदिनी सीता जी ने उनका बहुत आदर किया और वे पुनः कुछ कहने के लिए उद्यत हुईं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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