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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 5: सुन्दर काण्ड
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सर्ग 39: समद्र-तरण के विषय में शङ्कित हुई सीता को वानरों का पराक्रम बताकर हनुमान जी का आश्वासन देना
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श्लोक 14
श्लोक
5.39.14
क्षिप्रमेष्यति काकुत्स्थो हर्यृक्षप्रवरैर्वृत:।
यस्ते युधि विजित्यारीन् शोकं व्यपनयिष्यति॥ १४॥
अनुवाद
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देवी! आपके शोक को हरने वाले भगवान श्री राम शीघ्र ही वानरों और भालुओं के साथ यहां आएँगे और युद्ध में सभी शत्रुओं को जीत लेंगे।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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