श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 5: सुन्दर काण्ड  »  सर्ग 39: समद्र-तरण के विषय में शङ्कित हुई सीता को वानरों का पराक्रम बताकर हनुमान जी का आश्वासन देना  »  श्लोक 13
 
 
श्लोक  5.39.13 
 
 
सीतायास्तद् वच: श्रुत्वा हनूमान् मारुतात्मज:।
शिरस्यञ्जलिमाधाय वाक्यमुत्तरमब्रवीत्॥ १३॥
 
 
अनुवाद
 
  सीताजी की बात सुनकर वायु देवता के पुत्र हनुमान जी ने अपने माथे पर हाथ जोड़कर विनम्रतापूर्वक उनको उत्तर दिया-।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.