वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 5: सुन्दर काण्ड
»
सर्ग 39: समद्र-तरण के विषय में शङ्कित हुई सीता को वानरों का पराक्रम बताकर हनुमान जी का आश्वासन देना
»
श्लोक 13
श्लोक
5.39.13
सीतायास्तद् वच: श्रुत्वा हनूमान् मारुतात्मज:।
शिरस्यञ्जलिमाधाय वाक्यमुत्तरमब्रवीत्॥ १३॥
अनुवाद
play_arrowpause
सीताजी की बात सुनकर वायु देवता के पुत्र हनुमान जी ने अपने माथे पर हाथ जोड़कर विनम्रतापूर्वक उनको उत्तर दिया-।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.