श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 5: सुन्दर काण्ड  »  सर्ग 38: सीताजी का हनुमान जी को पहचान के रूप में चित्रकट पर्वत पर घटित हए एक कौए के प्रसंग को सुनाना, श्रीराम को शीघ्र बुलाने के लिये अनुरोध करना और चूड़ामणि देना  »  श्लोक 51
 
 
श्लोक  5.38.51 
 
 
हत्वा च समरक्रूरं रावणं सहबान्धवम्।
राघवस्त्वां विशालाक्षि स्वां पुरीं प्रति नेष्यति॥ ५१॥
 
 
अनुवाद
 
  विशालाक्षि! समरांगण में क्रूरता दिखाने वाले रावण को उसके बंधु-बांधवों सहित मारकर रघुनाथ जी आपको अपनी नगरी में ले जाएँगे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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