श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 5: सुन्दर काण्ड  »  सर्ग 38: सीताजी का हनुमान जी को पहचान के रूप में चित्रकट पर्वत पर घटित हए एक कौए के प्रसंग को सुनाना, श्रीराम को शीघ्र बुलाने के लिये अनुरोध करना और चूड़ामणि देना  »  श्लोक 41
 
 
श्लोक  5.38.41 
 
 
एवमस्त्रविदां श्रेष्ठो बलवान् सत्त्ववानपि।
किमर्थमस्त्रं रक्ष:सु न योजयसि राघव॥ ४१॥
 
 
अनुवाद
 
  रघुनंदन! इस प्रकार अस्त्र-शस्त्रों के ज्ञाता होने के साथ ही शक्तिशाली और पराक्रमी होते हुए भी आप राक्षसों पर अपने अस्त्रों का प्रयोग क्यों नहीं करते हैं?
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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