श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 5: सुन्दर काण्ड  »  सर्ग 38: सीताजी का हनुमान जी को पहचान के रूप में चित्रकट पर्वत पर घटित हए एक कौए के प्रसंग को सुनाना, श्रीराम को शीघ्र बुलाने के लिये अनुरोध करना और चूड़ामणि देना  »  श्लोक 34
 
 
श्लोक  5.38.34 
 
 
परिद्यूनं विवर्णं च पतमानं तमब्रवीत्।
मोघमस्त्रं न शक्यं तु ब्राह्मं कर्तुं तदुच्यताम्॥ ३४॥
 
 
अनुवाद
 
  उसने अपनी शक्ति खो दी थी और वह निराश होकर भूमि पर गिर पड़ा था। इस परिस्थिति में भगवान ने उसे देखकर कहा, “ब्रह्मास्त्र को व्यर्थ नहीं किया जा सकता है। इसलिए बताओ, इसके द्वारा तुम्हारे शरीर का कौन-सा अंग खंडित किया जाए।”
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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