श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 5: सुन्दर काण्ड  »  सर्ग 38: सीताजी का हनुमान जी को पहचान के रूप में चित्रकट पर्वत पर घटित हए एक कौए के प्रसंग को सुनाना, श्रीराम को शीघ्र बुलाने के लिये अनुरोध करना और चूड़ामणि देना  »  श्लोक 32
 
 
श्लोक  5.38.32 
 
 
स पित्रा च परित्यक्त: सर्वैश्च परमर्षिभि:।
त्रीँल्लोकान् सम्परिक्रम्य तमेव शरणं गत:॥ ३२॥
 
 
अनुवाद
 
  मातृहत्या करने के बाद उसने अपने पिता इन्द्र को और समस्त श्रेष्ठ महर्षियों को भी खो दिया, वे सभी उससे त्याग कर गए। तीनों लोकों में भटकने के बाद आखिर में वह भगवान श्रीराम की ही शरण में पहुँचा।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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