श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 5: सुन्दर काण्ड  »  सर्ग 38: सीताजी का हनुमान जी को पहचान के रूप में चित्रकट पर्वत पर घटित हए एक कौए के प्रसंग को सुनाना, श्रीराम को शीघ्र बुलाने के लिये अनुरोध करना और चूड़ामणि देना  »  श्लोक 30
 
 
श्लोक  5.38.30 
 
 
स तं प्रदीप्तं चिक्षेप दर्भं तं वायसं प्रति।
ततस्तु वायसं दर्भ: सोऽम्बरेऽनुजगाम ह॥ ३०॥
 
 
अनुवाद
 
  श्री रघुनाथजी ने उस जलते हुए कुश को उस कौए की ओर फेंका। फिर तो वह आकाश में उसका पीछा करने लगा।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.