श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 5: सुन्दर काण्ड  »  सर्ग 38: सीताजी का हनुमान जी को पहचान के रूप में चित्रकट पर्वत पर घटित हए एक कौए के प्रसंग को सुनाना, श्रीराम को शीघ्र बुलाने के लिये अनुरोध करना और चूड़ामणि देना  »  श्लोक 23
 
 
श्लोक  5.38.23 
 
 
पुन: पुनरथोत्पत्य विददार स मां भृशम्।
तत: समुत्थितो रामो मुक्तै: शोणितबिन्दुभि:॥ २३॥
 
 
अनुवाद
 
  वह मधुमक्खी बार-बार उड़कर मुझे बुरी तरह घायल कर रही थी, जिससे मेरे शरीर से खून की बूंदें झरने लगीं। यह देख श्रीरामजी की नींद खुल गई और वे जागकर बैठ गए।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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