श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 5: सुन्दर काण्ड  »  सर्ग 38: सीताजी का हनुमान जी को पहचान के रूप में चित्रकट पर्वत पर घटित हए एक कौए के प्रसंग को सुनाना, श्रीराम को शीघ्र बुलाने के लिये अनुरोध करना और चूड़ामणि देना  »  श्लोक 22
 
 
श्लोक  5.38.22 
 
 
स तत्र पुनरेवाथ वायस: समुपागमत्।
तत: सुप्तप्रबुद्धां मां राघवाङ्कात् समुत्थिताम्।
वायस: सहसागम्य विददार स्तनान्तरे॥ २२॥
 
 
अनुवाद
 
  तब वही कौआ फिर वहीं आया। मैं सोकर जाग गई और श्री रघुनाथ जी की गोद से उठकर बैठी ही थी कि उस कौए ने झपटकर मेरी छाती में चोंच मार दी।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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