श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 5: सुन्दर काण्ड  »  सर्ग 38: सीताजी का हनुमान जी को पहचान के रूप में चित्रकट पर्वत पर घटित हए एक कौए के प्रसंग को सुनाना, श्रीराम को शीघ्र बुलाने के लिये अनुरोध करना और चूड़ामणि देना  »  श्लोक 19
 
 
श्लोक  5.38.19 
 
 
तत: श्रान्ताहमुत्सङ्गमासीनस्य तवाविशम्।
क्रुध्यन्तीव प्रहृष्टेन त्वयाहं परिसान्त्विता॥ १९॥
 
 
अनुवाद
 
  तब मैं थककर तुम्हारी गोद में बैठ गई। मैं उस कौवे की हरकत से क्रोधित हो रही थी और तुमने प्रसन्नतापूर्वक मुझे सांत्वना दी।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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