श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 5: सुन्दर काण्ड  »  सर्ग 37: सीता का हनुमान जी से श्रीराम को शीघ्र बुलाने का आग्रह, हनुमान जी का सीता से अपने साथ चलने का अनुरोध तथा सीता का अस्वीकार करना  »  श्लोक 9
 
 
श्लोक  5.37.9 
 
 
विभीषणेन च भ्रात्रा मम निर्यातनं प्रति।
अनुनीत: प्रयत्नेन न च तत् कुरुते मतिम्॥ ९॥
 
 
अनुवाद
 
  मेरे भाई विभीषण ने मुझे वापस लौटाने के लिए रावण से बहुत विनती की थी, लेकिन उसने उनकी बात नहीं मानी।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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