वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 5: सुन्दर काण्ड
»
सर्ग 37: सीता का हनुमान जी से श्रीराम को शीघ्र बुलाने का आग्रह, हनुमान जी का सीता से अपने साथ चलने का अनुरोध तथा सीता का अस्वीकार करना
»
श्लोक 31
श्लोक
5.37.31
हनूमन् दूरमध्वानं कथं मां नेतुमिच्छसि।
तदेव खलु ते मन्ये कपित्वं हरियूथप॥ ३१॥
अनुवाद
play_arrowpause
हनुमान, तुम वानरों के राजा हो! तुम मुझे इतनी दूर के सफर पर कैसे ले जाना चाहते हो? तुम्हारी यह दुस्साहस भरी इच्छा तुम्हारे बन्दर होने का ही प्रतीक है।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.