श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 5: सुन्दर काण्ड  »  सर्ग 35: सीताजी के पूछने पर हनुमान जी का श्रीराम के शारीरिक चिह्नों और गुणों का वर्णन करना तथा नर-वानर की मित्रता का प्रसङ्ग सुनाकर सीताजी के मन में विश्वास उत्पन्न करना  »  श्लोक 90
 
 
श्लोक  5.35.90 
 
 
हतेऽसुरे संयति शम्बसादने
कपिप्रवीरेण महर्षिचोदनात्।
ततोऽस्मि वायुप्रभवो हि मैथिलि
प्रभावतस्तत्प्रतिमश्च वानर:॥ ९०॥
 
 
अनुवाद
 
  शम्बसादन नामक असुर के युद्ध में मारे जाने के बाद महर्षियों की प्रेरणा से कपिवर केसरी द्वारा पुत्र के रूप में जन्म लिया। इसलिए हे मैथिलि! मैं हनुमान हूँ, प्रभाव के आधार पर मैं वायुदेव के समान ही प्रभावशाली वानर हूँ।
 
 
इत्यार्षे श्रीमद्रामायणे वाल्मीकीये आदिकाव्ये सुन्दरकाण्डे पञ्चत्रिंश: सर्ग:॥ ३५॥
इस प्रकार श्रीवाल्मीकिनिर्मित आर्षरामायण आदिकाव्यके सुन्दरकाण्डमें पैंतीसवाँ सर्ग पूरा हुआ॥ ३५॥
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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