शम्बसादन नामक असुर के युद्ध में मारे जाने के बाद महर्षियों की प्रेरणा से कपिवर केसरी द्वारा पुत्र के रूप में जन्म लिया। इसलिए हे मैथिलि! मैं हनुमान हूँ, प्रभाव के आधार पर मैं वायुदेव के समान ही प्रभावशाली वानर हूँ।
इत्यार्षे श्रीमद्रामायणे वाल्मीकीये आदिकाव्ये सुन्दरकाण्डे पञ्चत्रिंश: सर्ग:॥ ३५॥
इस प्रकार श्रीवाल्मीकिनिर्मित आर्षरामायण आदिकाव्यके सुन्दरकाण्डमें पैंतीसवाँ सर्ग पूरा हुआ॥ ३५॥