श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 5: सुन्दर काण्ड  »  सर्ग 35: सीताजी के पूछने पर हनुमान जी का श्रीराम के शारीरिक चिह्नों और गुणों का वर्णन करना तथा नर-वानर की मित्रता का प्रसङ्ग सुनाकर सीताजी के मन में विश्वास उत्पन्न करना  »  श्लोक 89
 
 
श्लोक  5.35.89 
 
 
एतत् ते सर्वमाख्यातं समाश्वसिहि मैथिलि।
किं करोमि कथं वा ते रोचते प्रतियाम्यहम्॥ ८९॥
 
 
अनुवाद
 
  मैंने वह सब कुछ बता दिया है जो तुमने पूछा था, मैथिली। अब तुम धैर्य रखो और बताओ कि मैं तुम्हारी किस प्रकार सेवा करूँ और क्या करूँ। इस समय तुम्हारी रुचि किसमें है? यदि आज्ञा हो, तो अब मैं लौट जाऊँ।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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