श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 5: सुन्दर काण्ड  »  सर्ग 35: सीताजी के पूछने पर हनुमान जी का श्रीराम के शारीरिक चिह्नों और गुणों का वर्णन करना तथा नर-वानर की मित्रता का प्रसङ्ग सुनाकर सीताजी के मन में विश्वास उत्पन्न करना  »  श्लोक 65-66h
 
 
श्लोक  5.35.65-66h 
 
 
श्रुत्वा भ्रातृवधं कोपादिदं वचनमब्रवीत्।
यवीयान् केन मे भ्राता हत: क्व च निपातित:॥ ६५॥
एतदाख्यातुमिच्छामि भवद्भिर्वानरोत्तमा:।
 
 
अनुवाद
 
  ‘हमारे मुँहसे अपने भाईके वधकी चर्चा सुनकर वे कुपित हो उठे और बोले—‘वानरशिरोमणियो! बताओ, मेरे छोटे भाई जटायुका वध किसने किया है? वह कहाँ मारा गया है? यह सब वृत्तान्त मैं तुमलोगोंसे सुनना चाहता हूँ’॥ ६५ १/२॥
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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