श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 5: सुन्दर काण्ड  »  सर्ग 35: सीताजी के पूछने पर हनुमान जी का श्रीराम के शारीरिक चिह्नों और गुणों का वर्णन करना तथा नर-वानर की मित्रता का प्रसङ्ग सुनाकर सीताजी के मन में विश्वास उत्पन्न करना  »  श्लोक 57
 
 
श्लोक  5.35.57 
 
 
अङ्गदो नाम लक्ष्मीवान् वालिसूनुर्महाबल:।
प्रस्थित: कपिशार्दूलस्त्रिभागबलसंवृत:॥ ५७॥
 
 
अनुवाद
 
  लक्ष्मीवान शोभाशाली पुत्र, महाबली कपिश्रेष्ठ अंगद वानरों की सेना के एक तिहाई भाग को साथ लेकर आपकी खोज में निकले थे (उनके दल में मैं भी था)।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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