श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 5: सुन्दर काण्ड  »  सर्ग 35: सीताजी के पूछने पर हनुमान जी का श्रीराम के शारीरिक चिह्नों और गुणों का वर्णन करना तथा नर-वानर की मित्रता का प्रसङ्ग सुनाकर सीताजी के मन में विश्वास उत्पन्न करना  »  श्लोक 54
 
 
श्लोक  5.35.54 
 
 
स्वं राज्यं प्राप्य सुग्रीव: स्वानानीय महाकपीन्।
त्वदर्थं प्रेषयामास दिशो दश महाबलान्॥ ५४॥
 
 
अनुवाद
 
  सुग्रीव ने अपने राज्य को प्राप्त करके अपने आश्रय में रहने वाले बड़े-बड़े बलवान वानरों को बुलाया और उन्हें दसों दिशाओं में आपको खोजने के लिए भेजा।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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