वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 5: सुन्दर काण्ड
»
सर्ग 35: सीताजी के पूछने पर हनुमान जी का श्रीराम के शारीरिक चिह्नों और गुणों का वर्णन करना तथा नर-वानर की मित्रता का प्रसङ्ग सुनाकर सीताजी के मन में विश्वास उत्पन्न करना
»
श्लोक 54
श्लोक
5.35.54
स्वं राज्यं प्राप्य सुग्रीव: स्वानानीय महाकपीन्।
त्वदर्थं प्रेषयामास दिशो दश महाबलान्॥ ५४॥
अनुवाद
play_arrowpause
सुग्रीव ने अपने राज्य को प्राप्त करके अपने आश्रय में रहने वाले बड़े-बड़े बलवान वानरों को बुलाया और उन्हें दसों दिशाओं में आपको खोजने के लिए भेजा।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.