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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 5: सुन्दर काण्ड
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सर्ग 35: सीताजी के पूछने पर हनुमान जी का श्रीराम के शारीरिक चिह्नों और गुणों का वर्णन करना तथा नर-वानर की मित्रता का प्रसङ्ग सुनाकर सीताजी के मन में विश्वास उत्पन्न करना
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श्लोक 53
श्लोक
5.35.53
रामसुग्रीवयोरैक्यं देव्येवं समजायत।
हनूमन्तं च मां विद्धि तयोर्दूतमुपागतम्॥ ५३॥
अनुवाद
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देवी! श्रीराम और सुग्रीव के बीच इस प्रकार मित्रता हुई है। मैं उन दोनों का दूत बनकर यहाँ आया हूँ। मुझे जानिए हनुमान के रूप में।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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