वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 5: सुन्दर काण्ड
»
सर्ग 35: सीताजी के पूछने पर हनुमान जी का श्रीराम के शारीरिक चिह्नों और गुणों का वर्णन करना तथा नर-वानर की मित्रता का प्रसङ्ग सुनाकर सीताजी के मन में विश्वास उत्पन्न करना
»
श्लोक 47
श्लोक
5.35.47
तवादर्शनशोकेन राघव: परिचाल्यते।
महता भूमिकम्पेन महानिव शिलोच्चय:॥ ४७॥
अनुवाद
play_arrowpause
देवी! तुम्हें न देख पाने का शोक श्रीरघुनाथजी को उसी प्रकार विचलित कर देता है, जैसे किसी भयंकर भूकंप से बड़ा-सा पर्वत हिल जाता है।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.