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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 5: सुन्दर काण्ड
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सर्ग 35: सीताजी के पूछने पर हनुमान जी का श्रीराम के शारीरिक चिह्नों और गुणों का वर्णन करना तथा नर-वानर की मित्रता का प्रसङ्ग सुनाकर सीताजी के मन में विश्वास उत्पन्न करना
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श्लोक 34-35h
श्लोक
5.35.34-35h
तं तत: सान्त्वयामास सुग्रीवं लक्ष्मणाग्रज:॥ ३४॥
स्त्रीहेतोर्वालिना भ्रात्रा निरस्तं पुरुतेजसा।
अनुवाद
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तब लक्ष्मण के बड़े भाई, महातेजस्वी श्री रघुनाथजी ने सुग्रीव को सान्त्वना दी। जो स्त्री के कारण अपने बड़े भाई द्वारा घर से निकाले गये थे।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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