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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 5: सुन्दर काण्ड
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सर्ग 35: सीताजी के पूछने पर हनुमान जी का श्रीराम के शारीरिक चिह्नों और गुणों का वर्णन करना तथा नर-वानर की मित्रता का प्रसङ्ग सुनाकर सीताजी के मन में विश्वास उत्पन्न करना
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श्लोक 22
श्लोक
5.35.22
भ्राता चास्य च वैमात्र: सौमित्रिरमितप्रभ:।
अनुरागेण रूपेण गुणैश्चापि तथाविध:॥ २२॥
अनुवाद
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उनके सौतेले भाई लक्ष्मण भी बहुत तेजस्वी हैं। वे श्रीरामचन्द्रजी की तरह ही अनुराग, रूप और सद्गुणों से युक्त हैं।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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