श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 5: सुन्दर काण्ड  »  सर्ग 33: सीताजी का हनुमान जी को अपना परिचय देते हुए अपने वनगमन और अपहरण का वृत्तान्त बताना  »  श्लोक 29
 
 
श्लोक  5.33.29 
 
 
ते वयं भर्तुरादेशं बहुमान्य दृढव्रता:।
प्रविष्टा: स्म पुरादृष्टं वनं गम्भीरदर्शनम्॥ २९॥
 
 
अनुवाद
 
  हम तीनो ने एक-दूसरे को बौद्धिक उन्नति हेतु प्रेरित करते हुए तथा अपने स्वामी महाराज दशरथ के आदेश का पालन दृढ़तापूर्वक करते हुए उस अपरिचित और गंभीर दिखने वाले वन में प्रवेश किया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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