वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 5: सुन्दर काण्ड
»
सर्ग 33: सीताजी का हनुमान जी को अपना परिचय देते हुए अपने वनगमन और अपहरण का वृत्तान्त बताना
»
श्लोक 29
श्लोक
5.33.29
ते वयं भर्तुरादेशं बहुमान्य दृढव्रता:।
प्रविष्टा: स्म पुरादृष्टं वनं गम्भीरदर्शनम्॥ २९॥
अनुवाद
play_arrowpause
हम तीनो ने एक-दूसरे को बौद्धिक उन्नति हेतु प्रेरित करते हुए तथा अपने स्वामी महाराज दशरथ के आदेश का पालन दृढ़तापूर्वक करते हुए उस अपरिचित और गंभीर दिखने वाले वन में प्रवेश किया।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.