वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 5: सुन्दर काण्ड
»
सर्ग 30: सीताजी से वार्तालाप करने के विषय में हनुमान जी का विचार करना
»
श्लोक 42
श्लोक
5.30.42
इक्ष्वाकूणां वरिष्ठस्य रामस्य विदितात्मन:।
शुभानि धर्मयुक्तानि वचनानि समर्पयन्॥ ४२॥
अनुवाद
play_arrowpause
मैं इक्ष्वाकु वंश के महान, प्रसिद्ध आत्मा भगवान श्रीराम के शुभ और धर्मपूर्ण वचनों को यहीं बैठकर सुनाता रहूँगा।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.