श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 5: सुन्दर काण्ड  »  सर्ग 30: सीताजी से वार्तालाप करने के विषय में हनुमान जी का विचार करना  »  श्लोक 36
 
 
श्लोक  5.30.36 
 
 
एष दोषो महान् हि स्यान्मम सीताभिभाषणे।
प्राणत्यागश्च वैदेह्या भवेदनभिभाषणे॥ ३६॥
 
 
अनुवाद
 
  सीताजी से बातचीत करना मुझे बहुत कठिन लग रहा है, और अगर मैं बात नहीं करूँगा, तो वैदेही नंदिनी सीता का प्राण त्याग निश्चित है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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