श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 5: सुन्दर काण्ड  »  सर्ग 30: सीताजी से वार्तालाप करने के विषय में हनुमान जी का विचार करना  »  श्लोक 27
 
 
श्लोक  5.30.27 
 
 
ते शूलशरनिस्त्रिंशविविधायुधपाणय:।
आपतेयुर्विमर्देऽस्मिन् वेगेनोद्वेगकारणात्॥ २७॥
 
 
अनुवाद
 
  इस हलचल में वे राक्षस भी व्याकुल होकर शूल, बाण, तलवार और तरह-तरह के शस्त्रास्त्र लेकर बड़े वेग से आ धमकेंगे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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